ISS Kya Hai【इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन क्या है】इतिहास, उद्देश्य

International Space Station Kya Hai आमतौर पर हम अपने आसपास जो भी बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स या किसी महंगी इमारत को देखते है तो हमें लगता है कि इसकी कीमत सबसे ज्यादा है, लेकिन क्या आप जानते है आज तक इंसान ने सबसे महंगी चीज धरती पर न बनाकर स्पेस में बनाई है और वह चीज है, “ISS” यानि “इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन”

Hello Friends, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर आज हम बात करने जा रहे है, ISS यानि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के बारे में यह क्या है, इसे क्यों बनाया गया तथा विज्ञान के क्षेत्र में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के महत्व के बारे में भी बात करेंगे, उम्मीद करता हूँ आपको यह लेख पसंद आएगा।

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन क्या है ISS Kya Hai –

International Space Station kya Hai in Hindi
International Space Station kya Hai in Hindi | ISS Kya Hai

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस), अन्तरिक्ष में मौजूद वैज्ञानिक रिसर्च सेंटर या शोध स्थल है जिसे पृथ्वी की नजदीक की कक्षा में स्थापित किया है।

हिन्दी में इसे अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन, तथा अंग्रेजी में International Space Station कहा जाता है।

अंतरिक्ष में बार-बार वैज्ञानिकों को ले जाने और ले आने की प्रक्रिया काफ़ी जटिल और खर्चीली है, इसके अलावा एक समस्या यह भी है कि अंतरिक्ष यान अंतरिक्ष में नहीं रुक सकते।

इसलिए अंतरिक्ष में रुकने, आने-जाने के खर्च को कम करने के लिए एक ऐसे सैटलाइट की ज़रूरत महसूस की गई जो इतना बड़ा हो कि उसमें वैज्ञानिक रुक सकें, और प्रयोग को आसान किया जा सके।

साल 1998 में दुनिया की कई स्पेस एजेंसियां एक साथ आईं और अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA की अगुवाई में यह मिशन शुरू हुआ।

प्रोजेक्ट की शुरुआत में रूस के एक रॉकेट की मदद से ISS के पहले हिस्से को अंतरिक्ष में भेजा गया, धीरे-धीरे अलग अलग हिस्सों को स्पेस में लांच किया गया।

वर्ष 1998 में पहले लांचिंग के बाद, दो सालों में इस स्टेशन को बनाने का काम पूरा हो गया, 2 नवंबर, 2000 को पहली बार वैज्ञानिक इस लैब में पहुंचे।

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन इंसानों के द्वारा बनाई गई सबसे महंगी चीज है, हालांकि इसे बनाने के लिए कई देशों की स्पेस एजेंसीयों ने एक साथ मिलकर इसे बनाया है।

ISS या अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन एक बहुत बड़ा एयरक्राफ्ट है, साइज़ में यह लगभग एक फुटबाल फील्ड के बराबर है।

यह अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पृथ्वी से 250 मील यानी लगभग 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर, 28 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से धरती के चारों ओर चक्कर काटता है, स्पेस स्टेशन में रहने वाले वैज्ञानिक एक दिन में लगभग 16 बार सूर्योदय और सूर्यास्त देखते है।

यह किसी एक देश का स्वामित्व नहीं है, बल्कि सभी देश इसका इस्तेमाल करते है, हालांकि इसपर आने वाले खर्चों में सबसे बड़ा हिस्सा अमेरिका के द्वारा उठाया जाता है।

स्पेस स्टेशन को तैयार करने के लिए अलग-अलग टुकड़ों को अंतरिक्ष में ले जाकर उन्हें एक साथ जोड़ा गया है, इन टुकड़ों को मॉड्यूल कहा जाता है।

अलग-अलग मॉड्यूल में अलग-अलग तरह की ऐक्टिविटी करने के लिए सुविधाएं उपलब्ध है, इसमें अंतरिक्ष यात्रियों के रहने, खाने-पीने, टॉयलेट, बाथरूम और लेबोरेटरी के सारे इंतजाम हैं।

कम गुरुत्वाकर्षण में लंबे समय तक रहने की वजह से हड्डियां कमजोर होने लगती है, इससे बचने के लिए निरंतर व्यायाम करते रहना जरूरी होता है, इसलिए इसमें जिम की भी सुविधा उपलब्ध है।

इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 1998 में हुई और यह 2011 तक बन कर तैयार हुआ, वर्तमान समय तक आईएसएस अब तक बनाया गया सबसे बड़ा मानव निर्मित उपग्रह है।

आईएसएस के निर्माण में संयुक्त राज्य अमेरिका की नासा के साथ रूस की रशियन फेडरल स्पेस एजेंसी (आरकेए), जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जेएएक्सए), कनाडा की कनेडियन स्पेस एजेंसी (सीएसए) और यूरोपीय देशों की संयुक्त यूरोपीयन स्पेस एजेंसी (ईएसए) इस प्रोजेक्ट को कर रही है।

इसके अतिरिक्त ब्राजीलियन स्पेस एजेंसी (एईबी) और इटालियन स्पेस एजेंसी (एएसआई) भी कुछ अलग-अलग अनुबंधों के साथ नासा के साथ इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही है।

आईएसएस पृथ्वी से करीब 350 किलोमीटर ऊपर औसतन 27,424 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से परिक्रमा करेगा और प्रतिदिन 15.7 चक्कर पूरे करेगा।

पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित होने के बाद अंतरिक्ष स्टेशन को नंगी आंखों से देखा जा सकेगा।

वर्ष 2000 से इसके मॉड्यूल के पृथ्वी की कक्षा में स्थापित होने के बाद से यहाँ लगातार वैज्ञानिकों का एक दल मौजूद है।

शुरुआत में इसमें तीन व्यक्तियों के लिए स्थान था जिसे बढ़ाकर छह व्यक्तियों के लिए कर दिया गया।

ISS के भाग –

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन को मुख्यतः दो भागों में बांटा गया है… इसमें पहला है Russian Orbital Segment (ROS) जिसे रूस द्वारा संचालित किया जाता है।

और दूसरा United States Orbital Segment (USOS) जिसको अमेरिका सहित अन्य देशों द्वारा संचालित किया जाता है।

रशियन सेगमेंट में 6 मॉड्यूल्स शामिल हैं और यूएस सेगमेंट में 10 मॉड्यूल्स शामिल हैं, यूएस मॉड्यूल की सेवाएं 76.6% NASA के लिए, 12.8% JAXA के लिए, 8.3% ESA के लिए और 23% CSA के लिए वितरित की गई है।

ISS के सदस्य देश –

International Space Station के निर्माण में सहयोगी देशों की लिस्ट –

रूस Russian Federal Space Agency (Roscosmos)
अमेरिका National Aeronautics and Space Administration (NASA)
यूरोपीय देश European Space Agency (ESA)
जापान Japan Aerospace Exploration Agency (JAXA)
कनाडा Canadian Space Agency (CSA)

आईएसएस का उद्देश्य –

अंतरिक्ष में बार-बार वैज्ञानिकों को ले जाने और ले आने की प्रक्रिया काफ़ी जटिल और खर्चीली है, इसके अलावा एक समस्या यह भी है कि अंतरिक्ष यान अंतरिक्ष में नहीं रुक सकते।

इसलिए अंतरिक्ष में रुकने, आने-जाने के खर्च को कम करने के लिए एक ऐसे सैटलाइट की ज़रूरत महसूस की गई जो इतना बड़ा हो कि उसमें वैज्ञानिक रुक सकें, और प्रयोग को आसान किया जा सके।

इन समस्याओं को दूर करने के लिए साल 1998 में अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन के उपर विचार किया गया।

अंतरिक्ष यानों के मुकाबले ISS के कई सारे फायदे हैं जिसमें इसमें रहने वाले वैज्ञानिकों को ज्यादा समय तक अंतरिक्ष में रहकर काम करने का मौका मिलता है।

यह अंतरिक्ष यात्रियों के लिए रहने के साथ-साथ एक लैब भी है, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की लैब में अंतरिक्ष से संबंधित वो सभी रिसर्च की जाती हैं जिन्हें धरती पर गुरुत्वाकर्षण की मौजूदगी में कर पाना असंभव है।

इस प्रोजेक्ट का प्रमुख उद्देश्य अंतरिक्ष में लंबी अवधि की खोज को सक्षम बनाना और पृथ्वी के लोगों को लाभ प्रदान करना है।

यहाँ पर सूक्ष्म-गुरुत्वाकर्षण (Microgravity), पृथ्वी और अंतरिक्ष पर जीवन का अध्ययन (Astrobiology), मौसम-विज्ञान (Meteorology), चंद्रमा से जुड़े वैज्ञानिक अध्ययन (Astronomy), भौतिक विज्ञान (Physics), लंबे समय तक भारहीनता के प्रभाव तथा अन्य क्षेत्रों से जुड़े वैज्ञानिक अध्ययन किए जाते है।

भविष्य में चंद्रमा और मंगल से जुड़े लंबे समय के मिशनों के लिए जरूरी सिस्टम की टेस्टिंग यहाँ की जाती है।

यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने से पहले वर्तमान तरीकों में किए जाने वाले अपडेट की टेस्टिंग, भविष्य में मानव अंतरिक्ष को और खोजने के लिए (Exploration) के लिए आवश्यक तरल पदार्थ, दहन, लाइफ सपोर्ट सिस्टम और विकिरण पर्यावरण में महत्वपूर्ण रिसर्च यहाँ किए जाते है।

यहाँ पर आने वाले समय में चिकित्सा और विज्ञान के क्षेत्र में और ज्यादा सुधार नए खोज किए जा सकते है, इसके बारे में निरंतर प्रयोग होते रहते है, जिससे मानव जीवन को अधिकतम लाभ मिले।

ISS में जीवन –

स्पेस में जीरो ग्रैविटी होती है, इस स्थिति में पृथ्वी की तरह खड़ा नहीं हो सकते है, यहाँ पर सभी चीज हवा में तैरती रहती है।

धरती के मुकाबले जीरो ग्रैविटी में चलना-फिरना, खाना-पीना, टॉइलट जाना और अन्य दैनिक क्रियाएं करना भी आसान नहीं होता है।

इसलिए वैज्ञानिकों को स्पेस में भेजे जाने से पहले उन्हें विशेष ट्रेनिंग दी जाती है, उन्हें इस माहौल के लिए तैयार किया जाता है।

अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खाने-पीने की चीजों को खास पैकेट में पैक किया जाता है और खाने के लिए भी विशेष तरीका अपनाना होता है, टॉयलेट में खास तरह के वैक्यूम पंप लगे होते हैं जिनका इस्तेमाल करके ही टॉयलेट जैसे नेचर कॉल संभव हो पता है।

2 नवंबर 2000 से अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में लगातार लोग रह रहे हैं, अब तक ISS में 19 अलग अलग देशों के लगभग 250 अंतरिक्ष यात्री यहां पर अपनी सेवाएं दे चुके है।

इमें सबसे ज्यादा यात्री अमेरिका, फिर रूस के और इसके बाद जापान, कनाडा, इटली, फ्रांस, जर्मनी, के एक से ज्यादा वैज्ञानिक यहाँ रह चुके है।

इन देशों के अलावा बेल्जियम, डेनमार्क, ब्राजील, कजाखस्तान, नीदरलैंड, मलेशिया, स्पेन, स्वीडन, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, यूके और यूएई के एक-एक यात्री ISS में गए है।

जीरो ग्रैविटी में कुछ महीने रहने के बाद वैज्ञानिकों को पृथ्वी पर वापस आना पड़ता है क्योंकि कुछ समय के बाद ऐसी परिस्थिति में कई तरह की समस्याएं आने लगती है, जो स्थाई न बन जाए इससे बचने के लिए वापस धरती पर आना पड़ता है।

खाने-पीने की चीजें प्रयोगशाला के उपकरण और अन्य जरूरत के समान समय-समय पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजे जाते है।

कुछ दिनों के बाद खास मिशन के ज़रिए सामान भेजा जाता है, इस मिशन में लॉन्चर रॉकेट स्पेस स्टेशन वाली कक्षा में पहुंचते हैं और उन्हें स्पेस स्टेशन से अटैच किया जाता है और इसी तरह से स्पेस स्टेशन के कचरे को वापस धरती पर लाया जाता है।

दुनिया में कितने स्पेस स्टेशन है?

मार्च 2022 तक पृथ्वी की कक्षा में केवल अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन ही मौजूद है, इससे पहले अल्माज, सल्युत, स्कायलैब, मीर और चीन के Tiangong-1 और Tiangong-2 स्पेस स्टेशन में शामिल रह चुके है।

ISS कब तक काम करेगा?

पिछले 22 सालों ISS के सोलर पैनल लगातार काम करने के बाद अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रहे है, इसके 2024 तक सेवा में रहने की उम्मीद है।

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Summary –

पूरी जिंदगी इंसान पैसे कमाने के लिए मेहनत करता है ताकि वह अपने लिए एक घर और जीवन से जुड़ी चीजों की व्यवस्था करता है।

लेकिन अगर बात करें तो अब तक इंसान के द्वारा बनाई गई सबसे महंगी चीज धरती पर न होकर स्पेस में बनी है और वह चीज है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन।

तो दोस्तों, ISS क्या है इसके बारे में यह लेख कैसा लगा हमें जरूर बताएं नीचे कमेन्ट बॉक्स में, यदि आपके मन में इस टॉपिक से संबंधित कोई सवाल या सजेशन है तो उसे भी जरूर लिखें, धन्यवाद 🙂

A Student 📚, Digital Content Creator, Passion in Photography. इस ब्लॉग पर आपको टेक्नॉलजी, फाइनेंस और पैसे कमाने के तरीके से संबंधित टॉपिक्स पर जानकारियाँ मिलती रहेंगी, हमारे साथ जुड़ें - यूट्यूब फ़ेसबुक ट्विटर इंस्टाग्राम

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