ग्राफीन क्या है Graphene Kya Hai ग्राफीन के फायदे और नुकसान

9 सितंबर 2024 को एप्पल ने अपने नए आईफोन 16 के अनाउन्स में, बेटर बैटरी कूलिंग टेक्नॉलजी का प्रयोग किया है और ऐसा उन्होंने ग्राफीन नाम के माइटेरियाल की वजह से ये अचिव करने में सफलता पाई है।

अब हो सकता है आप ये नाम पहली बार सुन रहे हो लेकिन इसकी खोज दो दशक पहले हो चुकी थी, इसकी अपनी खास प्रॉपर्टिज के कारण यह केवल स्मार्टफोन ही नहीं बल्कि बहुत सारे गैजेट्स में यूज होने लगा है।

अभी तक हम सबसे मजबूत धातु के रूप में स्टील, टाइटेनियम जैसी धातु को मानते आए है, लेकिन क्या हो अगर कोई चीज मेटल न होकर भी इससे कहीं ज्यादा मजबूत हो? ऐसा हो सकता है “ग्राफीन” की मदद से मजबूत होने के साथ-साथ यह अपने अंदर कई खास गुणों को समेटे हुए है।

Hello Friends, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर आज हम बात करने जा रहे है, ग्राफीन के बारे में यह क्या है? इसके क्या फायदे है? इससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण फ़ैक्ट के बारे में उम्मीद करता हूँ, इससे आपको कुछ सीखने को अवश्य मिलेगा।

ग्राफीन क्या है Graphene Kya Hai –

ग्राफीन एक अणु की मुटाई वाली सामान्य कार्बन की एक पतली परत है, जिसके अंदर आश्चर्यजनक गुण पाए जाते है, ग्राफीन को ग्रेफाइट से बनाया जाता है, ग्रेफाइट की संरचना 3D, जबकि ग्राफीन 2D संरचना में व्यवस्थित होता है।

Graphene Kya Hai in Hindi
Graphene Kya Hai in Hindi

ग्राफीन, कार्बन का ही एक अपररूप है, ये सिर्फ एक एटम की फ्लैट लेयर सपाट परत है, इसकी 2D संरचना के कारण इसकी कोई मोटाई नहीं है, यह बाकी के मैटेरियल कि तुलना में बहुत ही पतला है।

जिस तरह से पहिये के आविष्कार ने मानव जीवन को बदल के रख दिया ठीक यह भी एक ऐसा मैटेरियल है जो इतनी विशेषताओं से भरा हुआ है, जो हमारे लिए भविष्य हर क्षेत्र में क्रांति ला सकता है।

ग्राफीन के गुण –

यह दुनिया का एकमात्र ऐसा मैटेरियल है जो गर्मी पाने पर सिकुड़ता है और ठंड में फैलता है, यह इसका सबसे अनोखा गुण है, जो इसको अलग बनाता है क्योंकि कोई भी धातु गर्मी पाने पर फैलती है और ठंढ में फैलती है।

यह दुनिया का सबसे पतला पदार्थ है इसके साथ ही अब तक के पदार्थों में सबसे मजबूत भी है।

बिजली का कंडक्टर होने के साथ-साथ इसमें तांबे के भी गुण हैं, इसमें तांबे से ज्यादा बेहतर इलेक्ट्रिसिटी भेजी जा सकती है।

हीट कंडक्टर होने के साथ यह इस गुण में अन्य पदार्थों में सबसे आगे हैं, जो इसको खास बनाता है।

ग्राफीन यह लगभग पारदर्शी है, इसके बावजूद यह इतना घना है कि गैस का सबसे छोटा अणु हीलियम भी इससे होकर गुजर नहीं सकता, कई तरह के फ़िल्टर बनाने में इसका प्रयोग किया जा सकता है।

यदि आपकी रुचि विज्ञान में है तो ये सभी बातें काफी Futurestic लगेंगी लेकिन यह सच हो गया है, क्योंकि ये सारे गुण ग्राफीन नाम के इस एलीमेण्ट में मौजूद है, जिसे वैज्ञानिकों ने काफी रिसर्च के बाद इस तत्व को खोजा है।

यह स्टील से भी ज्यादा मजबूत और काफी ज्यादा हल्का है अपनी इन्ही खूबियों की वजह से यह भविष्य की टेक्नोलॉजी में काफी बड़ा गेम चेंजर साबित होने वाला है।

Graphene Kya Hai
ग्राफीन कि द्विआयामी संरचना (Graphene Kya Hai)

ग्राफीन की खोज –

इस अनोखे तत्व की खोज वर्ष 2004 में, “आंद्रे जीम” (51) और “कोंसटांटिन नोवोसेलोव” (36) के द्वारा की गई।

मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी में दो वैज्ञानिक ग्रेफाइट पर रिसर्च कर रहे थे, इस दौरान उन्होंने ग्रेफाइट को टेप के ऊपर पॉलिश कर रहे थे, इस दौरान उन्होंने देखा कि कुछ छोटे-छोटे पार्टिकल्स टेप के ऊपर चिपक रहे थे।

इन्हीं पार्टिकल को आगे रिसर्च करने पर एक नए मैटेरियल के बारे में पता चला, जो अपने अंदर खास गुण समेटे हुए थे, जो कि बाकी के माइटेरियल्स से अलग था, इसे “ग्राफीन” नाम दिया गया।

“आंद्रे जीम” और “कोंसटांटिन नोवोसेलोव” के द्वारा की गई खोज इतनी महत्वपूर्ण थी कि इन्हें 2010 में भौतिकी के नोबेल पुरस्कार दिया गया।

ग्राफीन की संरचना –

Graphene Kya Hai in Hindi
Graphene Kya Hai in Hindi
Graphene Kya Hai in Hindi
Graphene Kya Hai in Hindi

ग्राफीन के प्रयोग –

आपने देखा होगा आमतौर पर आज भी फ्लैगशिप लेवल के स्मार्टफोन में एल्यूमिनियम, स्टील, टाईटेनियम या किसी अन्य मेटल की बॉडी मिलती है, जैसे – आईफोन में स्टेनलेस स्टील की बॉडी देखने को मिलती है जो मजबूत तो है, लेकिन इतनी ज्यादा नहीं की उसे हाथो से न मोड़ा जा सके

लेकिन क्या हो यदि आपका फ़ोन पहले से भी अधिक पतला और उससे भी ज्यादा मजबूत हो जिससे की आप उसको चाह कर भी तोड़ नहीं पाए या किसी एक्सीडेंट की वजह से भी न टूटे, अब सुनने में तो यह काफी मुश्किल लग रहा है।

और क्या हो यदि आपके घर में या डेली लाइफ मे यूज होने वाली सभी मेटल की चीजें पहले से काफी मजबूत, हल्की, टिकाऊ और सुन्दर बनाई जा सके जितनी की हम किसी भी चीज को भविष्य की बनाने की कल्पना कर सकते है |

आज के समय में हमारे घर में कोई भी नई इलेक्ट्रॉनिक चीज आती हो तो हमारा ध्यान उसके फीचर्स के बाद उसकी ड्यूरेबिलिटी पर जाता है कि, वह कितना मजबूत है, क्योंकि एंड में यही डिसाइड करता है कि कोई चीज हमारे हाथों में कितने दिन चलने वाली है।

आमतौर पर कई बार इस तरह के सामानों में बैकलिट प्लास्टिक की बॉडी दी जाती है जो कि काफी हार्ड होती है, यह प्लास्टिक मजबूत तो है लेकिन इसकी भी कुछ लिमिट है जिसके बाहर जाने पर वह टूट जाती है।

इसके साथ ही कई बार प्लास्टिक का प्रयोग इसलिए किया जाता है की इसमें बिजली लगने का खतरा नहीं होता और धातु में मजबूती तो मिलती है, लेकिन इसको ऐसी जगह प्रयोग नहीं किया जा सकता इलेक्ट्रिसिटी शॉक के लगने का खतरा हो।

इसके खास क्वालिटीज के कारण इसे बहुत से क्षेत्रों में प्रयोग किया जा सकता है, इसके कुछ उदाहरण निम्न है –

Metal Industry –

ग्राफीन विश्व का सबसे पतला पदार्थ है किंतु यह अब तक के पदार्थों में सबसे मजबूत भी है, बिजली का कंडक्टर होने के साथ साथ इसमें तांबे के भी गुण हैं, उष्मा का संवाहक होने के अलावा यह इस गुण में अन्य मैटेरियल्स में सबसे आगे हैं।

इसका प्रयोग हर उस चीज में किया जा सकता है, जहां पर किसी मेटल की जरूरत पड़ती है।

इंसुलेटर के तौर पर –

ग्राफीन सिंगल कार्बन एटम की एक मधुमक्खी के छत्ते जैसे आकार की एक परत हैं जो कि स्टील धातु से 200 गुना मजबूत और कॉपर से 1 मिलियन से भी अधिक गुना(1000000 Times) बिजली का बेहतरीन संचालक है, साथ ही यह इंसुलेटर का कार्य भी बख़ूबी कर सकता हैं इसमें दोनों की बेहतरीन क्षमता हैं यानि यह यह टू-इन-वन है, जो इसको अद्भुत बनाती है।

इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्री –

यह दुनिया का सबसे पतला, मजबूत पारदर्शी एवम् लचीला मैटेरियल हैं, यह वज़न से भी बहुत हल्का हैं मानिए एक शीट का वज़न केवल 00.7 ग्राम के लभभग हैं, जरा सोचिए इससे मोबाइल बनेगा तो वह कितना हल्का, मजबूत और लचीला बनेगा कि आप अपने मोबाइल को मोड़ भी सकेंगे और वह मजबूत सतह पर भी गिरने पर नहीं टूटेगा।

केमिकल के रूप में –

ग्राफीन क्योंकि धातु नहीं है तो इसमें जंग नहीं लगता हैं, इस क्वालिटी के कारण इसको किसी पेंट में डाल देते हैं और फिर किसी चीज़ पर पुताई करते हैं तो उस चीज़ में कभी भी जंग नहीं लगेगा।

ऐसे ही बिल्डिंग मैटेरियल के रूप में लोहे की जगह पर बहुत सी चीजों के अंदर मजबूती बढ़ाने के लिए इसका प्रयोग किया जा सकता है, जिसमें असीम संभावनाएं है।

एनर्जी को स्टोर करने के लिए –

भविष्य में इसका प्रयोग करके सुपर कैपेसिटर बनाने प्रयास किया जा रहा हैं इसका मतलब यह कि आपको अपना मोबाइल चार्ज करने हेतु केवल फास्ट चार्जिंग में कुछ दस मिनट का समय लगेगा और उस बैटरी से 10 दिन आप अपना मोबाइल चला सकते है, इससे बनी बैटरी को ग्राफीन बैटरी का नाम दिया गया है।

रियल ग्राफीन नाम की कंपनी काफी समय से इसपर रिसर्च कर रही थी, जिसके बाद ये ग्राफीन बैटरी बनाने में सफल हुए है।

अभी के समय में आप इसके पावरबैंक को खरीद सकते है, 10,000 mAh का यह पावरबैंक मात्र 15 से 20 मिनट में चार्ज हो जाता है।

इसके साथ ही कार में इसकी मदद से ज्यादा दूरी तक तय किया जा सकता है, ऐसी बहुत सी इंडस्ट्री है जहां पर बैटरी का प्रयोग होता है।

ग्राफीन का यहाँ एक बहुत बड़ा योगदान होने वाला है, इन चीजों को देवलोप करने में।

यूटीलिटीज –

इससे समुंद्री पानी भी फ़िल्टर करने की योजना बनाई जा रही हैं इसके कण इतने सूक्ष्म उनमें सिर्फ पानी ही फ़िल्टर होगा बाकी सब उसकी सतह पर रह जाएगा जिससे कि पानी एक दम शुद्ध मिलेगा।

सुरक्षा के क्षेत्र में –

यह तत्व अपनी मजबूती के कारण बुलेट प्रूफ हैं तो इससे आर्म्स जैकेट्स बनाने की भी योजना है, इससे रेडियोएक्टिव दूषित प्रदार्थों को भी डिकंपोज किया जा सकता हैं जिससे कि वातावरण को दूषित होने से बचाया जा सकता हैं।

इससे नाइट्स विजन मतलब ऐसे कैमरे जो कि अंधेरे में भी जो साफ़ एक्सरे जैसे काम करेंगे, इसका मिलिट्री के क्षेत्र में बहुत बड़ा स्कोप है, इससे प्रिंटर की स्याही भी बनाई जा रही हैं जोकि उच्च गुणवत्ता की होगी जिससे प्रिंट एकदम साफ़ आएगा, साधारण इंक की तुलना में।

दैनिक जीवन में –

ध्वनि के उपकरण बनाने साउन्ड सिस्टम बनाने में इसका प्रयोग किया जा सकता है, इससे बने साउंड सिस्टम से और ज्यादा बेहतर स्पीकर बनाए जा सकते है जिससे क्रिस्टल क्लियर साउन्ड सुनाई देगा क्योंकि यह 2D क्रिस्टलाइन से युक्त मैटेरियल है।

इससे कंप्यूटरर्स, मोबाइल की स्क्रीन्स, सोलर के इलेक्ट्रोड आदि बहुत योजनाएं हैं जो मनुष्य जीवन को अधिक आसान कर देगी भविष्य में, इन्ही सब गुणों के आधार पर इसे क्रान्तिकारी पदार्थ कहा गया है।

ग्राफीन के साथ मौजूद समस्याएं –

1. हाई क्वालिटी और दोष मुक्त ग्राफीन का बड़े पैमाने पर उत्पादन सभी ग्राफीन मैन्युफैक्चरर्स के लिए बहुत ही धैर्य का काम है, क्योंकि अभी के टाइम में इसको बनाने की प्रक्रिया में ज्यादा कॉस्ट और काफी समय लगता है।

2. इसकी गुणवत्ता को बनाये रखते हुए ग्राफीन उत्पादन को बढ़ाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, ग्राफीन की क्वालिटी कम होने और दोषयुक्त होने से ग्राफीन के गुण जैसे विद्युत चालकता, पारदर्शिता, तापीय चालकता में कमी आती है, जिससे यह उतने अच्छे तरीके से काम नहीं कर सकता जीतने कि इसके फीचर्स है।

3. CVD प्रोसेस द्वारा उच्च गुणवत्ता वाले मोनोलेयर ग्राफीन का उत्पादन किया जाता है, लेकिन इस प्रक्रिया के द्वारा ज्यादा मात्र मे ग्राफीन का उत्पादन करना मुश्किल होता है, जिस कारण इसके प्रोडक्शन में लगने वाली कॉस्ट बढ़ जाती है।

4. कोई स्टैंडर्ड नहीं – ग्राफीन उद्योग विकास के प्रारंभिक चरण में है, और नियमों और मानकों के हिसाब से अभी बहुत कम काम किया गया है, कई कंपनियां विभिन्न प्रकार की ग्राफीन सामग्री का उत्पादन कर रही हैं, जिससे उद्योग में बहुत अधिक विविधता और भ्रम पैदा हो रहा है, इसकी क्वालिटी का एक स्टैंडर्ड तय हो जाने के बाद इसकी क्वालिटी को मेंटेन करना आसान हो जाएगा।

स्टैंडर्ड न होने के परिणामस्वरूप बाजार में नकली ग्राफीन भी उपलब्ध है, और इसे उत्पाद स्तर पर पहचानना मुश्किल है, धीरे-धीरे समय के साथ एक मानक बनने से उस क्वालिटी का ग्राफीन बनना स्टार्ट हो जाएगा।

6. आपूर्तिकर्ताओं द्वारा निम्न और खराब-गुणवत्ता वाले ग्राफीन उत्पादों की आपूर्ति के कई मामले सामने आ रहे हैं जो इको सिस्टम में उपयोगकर्ताओं (Users) के बीच ग्राफीन उत्पादों की विश्वसनीयता को कम कर रहा है, इस समस्या को दूर करना आवश्यक है।

7. इस पदार्थ के साथ एक सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह बहुत ही महंगा हैं और 1 ग्राम Graphene की कीमत 100$ है इसलिए इससे वस्तुएं बनाने पर लगने वाली कीमत बहुत ज़्यादा हो जाएगी, इसलिए ज्यादा पैमाने पर किसी भी परोडुकट के अंदर इसका प्रयोग भी नहीं किया जा सकता है।

तो यही कुछ कारण है जिसकी वजह से इसे वास्तविकता में लाने में समय लग रहा हैं क्योंकि ग्राफीन की जगह यूज होने वाले पदार्थ जैसे – सिलिकॉन, पॉलिमर आदि बहुत सस्ते है, इसलिए उत्पादन में इनका प्रयोग प्राथमिक तौर पर किया जा रहा है।

ग्राफीन किस तत्व का अपरूप है

ग्राफीन, ग्राफीन, कार्बन का ही एक अपररूप है, ये सिर्फ एक एटम की फ्लैट लेयर सपाट परत है, इसकी 2D संरचना के कारण इसकी कोई मोटाई नहीं है, यह बाकी के मैटेरियल कि तुलना में बहुत ही पतला है।

ग्राफीन कैसे बनता है?

ग्राफीन ग्रेफाइट के द्वारा बनाया जाता है, ग्रेफ़ाइट के अंदर यह बहुत ही कम मात्रा में पाया जाता है।

ग्राफीन की खोज किसने की?

ग्राफीन की खोज “आंद्रे जीम” (51) और “कोंसटांटिन नोवोसेलोव” (36) ने वर्ष 2004 में इसकी खोज की।

Summary –

ग्राफीन एक Multi-Talented पदार्थ है, जिससे काफी कुछ बनाया जा सकता और वह भी एकदम उच्च गुणवत्ता का जो कि काफी हल्का, मजबूत, टिकाऊ, और काफी अच्छा होगा कुल मिलाकर इससे बनने वाले प्रोडक्ट्स एकदम पैसा वसूल होंगे।

इसको लगभग प्रोडक्ट्स को बनाने में प्रयोग किया जा सकता है उदाहरण के तौर पर, स्मार्टफोन, कंप्यूटर, साइकिल, व्हीलकल, Earphone, अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स में किया जा सकता है।

वर्तमान में व्यापक रूप से इसका उपयोग होना अभी प्रारम्भ नहीं हुआ है, फिलहाल इस पदार्थ पर विभिन्न प्रयोग परीक्षण चल रहें है लेकिन भविष्य में निश्चित रूप से यह उपयोगी होगा।

उम्मीद करता हूँ कि ग्राफीन क्या है? (Graphene Kya Hai) इसके बारे में यह लेख आपको पसंद आया होगा, यदि अब भी आपके मन में कोई सवाल या सुझाव है तो कृपया उसे भी लिखना न भूलें, धन्यवाद 🙂

A Student 📚, Digital Content Creator, Passion in Photography. इस ब्लॉग पर आपको टेक्नॉलजी, फाइनेंस और पैसे कमाने के तरीके से संबंधित टॉपिक्स पर जानकारियाँ मिलती रहेंगी, हमारे साथ जुड़ें - यूट्यूब फ़ेसबुक ट्विटर इंस्टाग्राम

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