KYC Kya Hota Hai, आज डिजिटल बैंकिंग के जमाने में सब कुछ ऑनलाइन हो गया है और जब बात बैंकिंग सेक्टर की हो तो यहाँ भी चीजें एक दूसरे से जुड़ी हुई है।
जब भी हम कहीं पर अकाउंट ओपन करते है, या किसी योजना का लाभ लेना हो तो या फिर किसी अन्य सर्विसेज़ को यूज करना हो तो हमेशा यूजर से KYC की मांग की जाती है, बिना इसे पूरा किये आप उस पार्टीकुलर सर्विस का लाभ नहीं ले पाते है।
Hello Dosto, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर आज हम बात करने जा रहे है केवाईसी के बारे में… केवाईसी क्या है (KYC Kya Hota Hai) और क्यों जरूरी है, साथ ही केवाईसी से जुड़े कुछ अन्य तथ्यों के बारे में बात करेंगे।
केवाईसी क्या होता है? –
KYC का फुल फॉर्म होता है “Know Your Customer” जिसका हिंदी में मतलब होता है “अपने ग्राहक को जानें”, इसके अलावा इसे “Know Your Client” के नाम से भी जाना जाता है।
केवाईसी आमतौर पर बैंक या किसी फाइनेंशियल चीजों के लिए कस्टमर को वेरफाइ करने की एक प्रक्रिया है।
बैंक और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस अपने ग्राहक की पहचान और उसके पते को सत्यापित करने के लिए KYC की प्रक्रिया की जाती है।
आमतौर पर किसी बैंक में अकाउंट ओपन करने या कोई लेन-देन करने के लिए अन्य डॉक्यूमेंट की जरूरत पड़ती है लेकिन केवाईसी के तहत कस्टमर को वेरफाइ किया जाता है कि वास्तव में वह व्यक्ति है कि नहीं।
वर्ष 2002 में भारतीय रिज़र्व बैंक ने, बैंकों के लिए केवाईसी दिशानिर्देश दिए जिसके बाद सभी को अपने ग्राहकों का केवाईसी कराना अनिवार्य हो गया।
केवाईसी क्यों जरूरी है?
केवाईसी किसी भी बैंकिंग सिस्टम में कस्टमर और बैंक दोनों के लिए कई सारी सुविधाएं प्रदान करता है।
केवाईसी के होने से हमारे अकाउंट को सुरक्षित करने में में मदद मिलती है, यदि किसी व्यक्ति का अकाउंट है तो किसी डाक्यमेन्ट की फ़ोटो कॉपी लगाकर कोई दूसरा उस अकाउंट को यूज नहीं कर सकता है।
कुछ समय पर आवश्यक केवाईसी उस अकाउंट को किसी अनाधिकृत व्यक्ति के द्वारा प्रयोग करने से रोक जा सकता है।
कई बार ऐसा होता है कि हम कोई खाता ओपन कराने के बाद उसे यूज करना बंद कर देते है, ऐसे में कुछ महीनों बाद बैंक उस अकाउंट को इनएक्टिव मान लेता है और यदि उसका प्रयोग करना हो तो फिर से केवाईसी के माध्यम से एक्टिव किया जा सकता है।
लेकिन केवाईसी के माध्यम से बैंक यह कन्फर्म करने में सक्षम होते है कि जिस व्यक्ति का वह अकाउंट है वह जीवित है।
यही कारण है कि सरकार हर साल योजनाओं का लाभ लेने के लिए केवाईसी प्रक्रिया को पूरी कराती है ताकि मृत लाभार्थी को योजना का लाभ न दिया जाया, क्योंकि वह राशि किसी के भी काम नहीं नहीं आती है।
एक बार में 50,000 या उससे ऊपर के लेन-देन करने वाले व्यक्तियों के लिए आधार कार्ड और पैन कार्ड की मांग की जाती है जिससे कि व्यक्ति के रिकार्ड को रखा जा सके।
बीते समय में फाइनेंशियल एप या किसी व्यक्ति के द्वारा मनी लांड्रीन्ग की बहुत सी खबरें आती रही है, जिसमें अवैध रूप से पैसे को भारत के बाहर भेज दिया जाता था।
ये चीजें इसलिए पकड़ में नहीं आती थी कि जिन अकाउंट से ये सब किया जाता था उसे पकड़ना मुश्किल हो जाता था, किसी दूसरे व्यक्ति का अकाउंट कोई और व्यक्ति प्रयोग कर रहा होता था, इस नियम के आने के पहले ऐसे केस बहुत ज्यादा बढ़ गए थे।
आज के समय में जिस किसी भी फाइनेंशियल एप का प्रयोग आप कर रहे है वहाँ उस प्लेटफॉर्म पर मिलने वाली सभी सुविधाओं का प्रयोग करने के लिए केवाईसी करना अनिवार्य हो गया है।
जैसे बात अगर Paytm की करें तो यहाँ पर बिना केवाईसी के आप एक बार में 10,000 रुपये से ज्यादा के लेन-देन नहीं कर सकते है।
केवाईसी कैसे होता है? –
केवाईसी करने के लिए यूजर का आधार नंबर, पैन कार्ड नंबर और अन्य जरूरी डॉक्यूमेंट के साथ बायोमेट्रिक जैसे अंगूठा, आइरिस और फेस स्कैन जैसे डेटा इकठ्ठा किये जाते है।
अलग-अलग कामों के लिए अलग-अलग डॉक्युमेंट्स मांगे जाते है लेकिन आमतौर पर अंगूठे और आधार तथा पैन कार्ड के माध्यम से यह प्रोसेस पूरा कर लिया जाता है।
KYC Documents –
कस्टमर की पहचान करने के लिए कई तरह के डॉक्युमेंट्स से इसको वेरफाइ किया जा सकता है।
अलग-अलग कामों के लिए अलग तरह के डॉक्यूमेंट प्रयोग किये जाते है, जैसे बैंकिंग के लिए आमतौर पर पैन कार्ड की मांग की जाती है।
गोवर्मेंट ने व्यक्ति की पहचान लिए छ: प्रकार के दस्तावेजों को KYC के लिए प्रमाणित दस्तावेज के तौर पर मान्य किया है, जिन्हें व्यक्ति की पहचान का प्रमाण माना गया है।
इतना ही नहीं अगर आपने एक बार KYC दस्तावेज बैंक में जमा करवा दिए हैं तो वही बैंक आपकी पहचान सुनिश्चित करने के लिए एक खास समय के बाद दोबारा KYC रिकार्ड अपडेट करने के लिए इन दस्तावेजों की मांग सकता है, जिससे आंकड़ों को अपडेट किया जा सके।
बैंक के अकाउंट की जांच के लिए किया जाने वाली यह प्रकिया एक लगातार जारी रहने वाला कार्य है और समय-समय पर इसे पूरा किया जाता है।
नीचे ये कुछ डॉक्युमेंट्स है जिसकी मदद से आप केवाईसी को पूरा करवा सकते है –
- आधार कार्ड
- ड्राइविंग लाइसेंस
- पासपोर्ट
- मतदाता पहचान पत्र
- पैन कार्ड
- एनआरजीए कार्ड
इसमें से कोई भी एक दस्तावेज या मांगे गए डॉक्युमेंट्स की लिस्ट में जो भी आपके पास मौजूद हो उनका प्रयोग करके केवाईसी किया जा सकता है।
इसके अलावा साथ में पते का भी विवरण है तो उसे पते का प्रमाण मान लिया जाता है, यदि आप अपने निवास स्थान के सही पते का प्रमाण नहीं दे पाते हैं तो आपको इस संबंध में अन्य वैधानिक दस्तावेज देना जरूरी आवश्यक रहता है।
इसके अलावा पते के प्रूफ के लिए, टेलीफोन बिल, गैस या बिजली का रीफिलिंग बिल, बैंक अकाउंट स्टेटमेंट जो मेल द्वारा भेजा गया हो, पासपोर्ट, नियोक्ता द्वारा जारी अप्वाइंटमेंट लेटर, कॉमर्शियल बैंकों के बैंक मैनेजर द्वारा भेजा गया पत्र और राशन कार्ड जैसे डॉक्यूमेंट पते के प्रूफ के लिए प्रयोग किये जा सकते है।
अगर आपके पास इनमें से कोई भी पते का प्रमाण नहीं है तो एफ़िडेविट भी दे सकते है,
eKYC Kya Hota Hai –
इ केवाईसी क्या है, इलेक्ट्रॉनिक नो योर कस्टमर (ईकेवाईसी) में पहचान सत्यापन के लिए इंटरनेट या डिजिटल माध्यमों का उपयोग किया जाता है।
eKYC में आईडी और पते के प्रमाण दस्तावेजों को प्रमाणित करने के लिए, गोवर्मेंट के डेटाबेस का उपयोग करके जांच की जाती है।
जैसे – देश के आधिकारिक पासपोर्ट डेटाबेस, आधार डेटाबेस, पैन कार्ड डेटाबेस और ड्राइविंग लाइसेंस के डेटाबेस से अलग-अलग डेटा की पुष्टि की जाती है।
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट होता है, eKYC एक ऑनलाइन पूरी की जानी वाली प्रक्रिया है, जो कि आज के समय में प्रयोग की जाती है।
Video KYC Kya Hai –
Video KYC जैसा कि नाम से ही स्पष्ट होता है यह विडिओ के माध्यम से होने वाली प्रक्रिया है।
आमतौर पर यह बैंकों के द्वारा क्रेडिट कार्ड वेरीफिकेशन, NBFC अकाउंट वेरीफिकेशन इत्यादि में प्रयोग किया जाता है।
विडिओ केवाईसी के अंतर्गत यूजर के डॉक्यूमेंट को पहले ऑनलाइन के माध्यम से सबमिट कराया जाता है, डॉक्यूमेंट के वेरफाइ होने के बाद विडिओ के माध्यम से उस डॉक्यूमेंट को वेरफाइ किया जाता है, तथा यूजर से उसकी सहमति भी ली जाती है।
विडिओ केवाईसी के समय यूजर की फोटो, लाइव विडिओ (कुछ सेकंड का), डॉक्यूमेंट के साथ फोटो और यूजर की सहमति आदि ली जाती है।
आज के समय में विडिओ केवाईसी काफी फास्ट और आसानी से पूरी की जाने वाली प्रक्रिया है बाकी के तरीकों की तुलना में यह घर बैठे कहीं से भी आसानी से की जा सकती है।
अलग-अलग देशों में केवाईसी –
भारत में केवाईसी भारतीय रिजर्व बैंक के बनाए नियमों के अनुसार किये जाते है, समय-समय पर आरबीआई के द्वारा इससे जुड़े दिशानिर्देश भी जारी किये जाते रहते है।
केवाल भारत ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी केवाईसी की प्रक्रिया पूरी की जाती है और वहाँ इससे जुड़े कुछ नियम है –
ऑस्ट्रेलिया –
साल 1989 में स्थापित ऑस्ट्रेलियाई लेनदेन रिपोर्ट और विश्लेषण केंद्र (AUSTRAC), ऑस्ट्रेलिया में वित्तीय लेनदेन की निगरानी करता है और ग्राहक पहचान आवश्यकताओं को निर्धारित करता है।
कनाडा –
2000 में स्थापित कनाडा का वित्तीय लेनदेन और रिपोर्ट विश्लेषण केंद्र (FINTRAC), कनाडा की वित्तीय खुफिया इकाई है।
इसने एएमएल और केवाईसी नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए व्यक्तिगत ग्राहकों की पहचान निर्धारित करने के स्वीकार्य तरीकों के संबंध में जून 2016 में अपने नियमों को अद्यतन किया।
इस नए कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने वाला एक लंबित मुकदमा कनाडा में अभी चल रहा है।
इटली –
इटली की प्रमुख बैंक, बैंका डी’इटालिया ने वित्तीय उद्योग के लिए विनियमन शक्ति का प्रयोग किया, 2007 में इतालवी क्षेत्र में काम करने वाले वित्तीय संस्थानों के लिए केवाईसी आवश्यकताओं को निर्धारित किया।
जापान –
वित्तीय संस्थानों द्वारा ग्राहकों की पहचान पर अधिनियम 2003 को लाया गया।
मेक्सिको – “अवैध उत्पत्ति से संसाधनों के साथ संचालन की रोकथाम और पहचान के लिए संघीय कानून” लाया गया, 2012 में राष्ट्रपति फेलिप काल्डेरन के प्रशासन के साथ प्रख्यापित किया गया और 2013 में राष्ट्रपति एनरिक पेना नीटो प्रशासन के साथ लागू हुआ।
नामीबिया –
Financial Intelligence Act, 2012 (2012 का अधिनियम संख्या 13) 14 दिसंबर 2012 के राजपत्र 5096 में सरकारी नोटिस 299 के रूप में प्रकाशित हुआ।
न्यूज़ीलैंड –
अद्यतन केवाईसी कानून 2009 के अंत में लागू किए गए और 2010 में लागू हुए। केवाईसी सभी पंजीकृत बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए अनिवार्य है (बाद वाले का अत्यंत व्यापक अर्थ है)।
दक्षिण कोरिया –
कुछ वित्तीय लेनदेन सूचना की रिपोर्टिंग और उपयोग पर अधिनियम देश में उचित परिश्रम को नियंत्रित करता है।
यूनाइटेड किंगडम –
मनी लॉन्ड्रिंग विनियम 2017 ब्रिटेन में केवाईसी को नियंत्रित करने वाले अंतर्निहित नियम हैं।
कई यूके व्यवसाय अनुपालन में सहायता के रूप में वित्तीय आचरण प्राधिकरण के ‘वित्तीय अपराध: फर्मों के लिए एक गाइड’ के साथ-साथ यूरोपीय संयुक्त मनी लॉन्ड्रिंग स्टीयरिंग ग्रुप द्वारा प्रदान किए गए मार्गदर्शन का उपयोग करते हैं।
KYC Kise Kehte Hain, केवाईसी किसे कहते है इसके बारे में विडिओ के रूप में जानने के लिए नीचे दिए गए इस विडिओ पर क्लिक करें –
Summary, KYC Kya Hota Hai –
कहते है आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है, इसलिए समय के साथ केवाईसी जैसे नियमों को बनाया गया ताकि कोई फर्जी व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के अधिकारों का प्रयोग न कर सके।
यह व्यवस्था न सिर्फ हमें वास्तविक पहचान करने में हेल्प करती है बल्कि हमें सुरक्षित रखने में भी सहायक है।
आशा करता हूँ कि केवाईसी क्या होता है (KYC Kya Hota Hai, What is KYC in Hindi) के बारे में यह लेख आपको पसंद आया होगा, यदि आपके पास इससे संबंधित कोई भी सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में लिखें, इस जानकारी को अपने दोस्तों के साथ शेयर करें, Thank You 🙂
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