Internet Kaise Chalta Hai, इंटरनेट, इसके बिना आज के समय में जीवन की कल्पना भी करनी मुश्किल है, आज के समय में यह हर क्षेत्र में प्रयोग किया जाता है, चाहे वह वीडियो देखना हो, ब्राउज़िंग करनी हो, या किसी को वीडियो कॉल करने हो ये सब अपने फोन से बड़ी ही आसानी से कर सकते है।
लेकिन कभी न कभी हमारे मन में ये चीजें जरूर आती है इन चीज़ों को आसान करने वाली टेक्नोलॉजी जिसे इंटरनेट कहा जाता है, Internet Kaise Chalta Hai, क्या है इसके पीछे का कारण?
Hello Dosto, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर आज हम बात करने जा रहे है, इंटरनेट के बारे में इंटरनेट कैसे चलता है, Internet Kaise Banta Hai, कैसे हम बिना किसी वायर के पूरी दुनिया से कनेक्ट कर पाते है, तथा इससे जुड़े कुछ तथ्यों के बारे में।
Internet Kaise Chalta Hai –
इंटरनेट कैसे बनता है, Internet Kaise Chalta Hai या Internet Kaise Banta Hai इसके बारे में समझने से पहले आइए हम इंटरनेट के इतिहास के बारे में जान लें कि आज जो हम इंटरनेट का प्रयोग कर रहे है उसकी शुरुआत कैसे हुई थी।
वर्तमान में इंटरनेट के इतना विकास होने में बहुत लोगों का योगदान रहा है, और इसके प्रारम्भिक विकास की अववस्था 1950 के दशक में कही जा सकती है, इंटरनेट के शुरुआत सन 1960 के दशक में अमेरिकी रक्षा विभाग में शोध कार्य करने के लिए की गयी।
उस समय शुरुआती दौर में इसका नाम ARPANET (Advanced Research Project Agency Network) दिया गया, RPANET का प्रारम्भिक नेटवर्क उस समय अमेरिका की चार मुख्य यूनिवर्सिटी के चार होस्ट कंप्युटर्स को आपस में जोड़कर बनाई गयी थी, जिसके द्वारा इन चारों कंप्युटर के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान आसानी से किया जा सकता था।
1972 आते-आते इस सिस्टम से 32 होस्ट कंप्युटर जुड़ चुके थे, इसके बाद इसका नाम ARPANET से DARPA (Defence Advanced Reserch Projects Agency) कर दिया और इसके बाद इस सिस्टम ने अमेरिका की सीमा को पार करते हुए पहली बार इंग्लैंड और नॉर्वे के साथ अंतराष्ट्रीय संपर्क स्थापित किये।
इसके बाद सन् 1990 में ARPANET को बंद कर दिया गया और इसकी जगह, मिनेसोटा यूनिवर्सिटी के द्वारा विकसित टेक्नॉलजी गोफर को विकसित किया गया, इंटरनेट पर नई सूचनाएं देने वाले इस टूल ने इंटरनेट को और अधिक आसान बनाया।
बाद में इसके तेजी से होते विकास के कारण 1987 से 1989 तक यस लगभग 10000 कंप्युटर का एक नेटवर्क बना, काफी तीव्र गति से विकास होने के कारण 1992 आते-आते यह संख्या 10 लाख कंप्युटर्स में बदल गयी, उसे ठीक अगले साल सन 1993 में 20 लाख कंप्युटर्स हो गए।
इसी साल 1993 में CERN के वैज्ञानिक “टिम बर्नर्स ली” WWW (World Wide Web) का आविष्कार किया, WWW इंटरनेट पर सूचनाओं को व्यस्थित करने और दिखने के लिए http (hyper Text Transfer Protocol) का प्रयोग करता है।
इसके बाद सन् 1993-94 के समय Mosaic और NetScape Navigator जैसे वेब ब्राउजर मार्केट में आये और इंटरनेट का चलन बढ़ा, इन ब्राउजर को आसानी से उपयोग करने और इसकी ग्राफिक क्षमता के कारण ही आम लोगों के बीच इसका चलन बढ़ा।
Internet Kaise Banta Hai –
इंटरनेट Internet Kaise Chalta Hai, विज्ञान के क्षेत्र में एक ऐसी क्रांति है, जिसने मानव को सम्पूर्ण रूप से बदल के रख दिया है, यही कारण है कि अपने शुरुआती दौर के बाद से ही बहुत तेजी से विकसित हुआ और फैला और इसकी सभी के जीवन में क्या जरूरत है यह सभी को पता है, Internet Kaise Chalta Hai?
बिल्कुल आसान शब्दो में इसे कहा जाए तो किसी सर्वर पर मौजूद कोई डाटा को किसी सर्वर से हमारे फोन तक पहुंचने में जिस माध्यम या रास्ते का प्रयोग किया जाता है, वह रास्ता ही इन्टरनेट कहलाता है।
अगर मैं आपसे यह सवाल करूं कि आपके घर तक किसी डिवाइस में आने वाला इंटरनेट कहां से और किस माध्यम से आता है तो आप में से अधिकतर लोगों का यह जवाब होगा कि, सेटेलाइट के द्वारा, लेकिन ऐसा नहीं है।
वास्तव में हम जो भी इंटरनेट यूज करते हैं उसमें से 99.9% इंटरनेट ऑप्टिक फाइबर केबल (optic fiber cable) के द्वारा हमारे घर के पास मौजूद टावर तक आता है, यही ऑप्टिकल फाइबर केबल हमारे कंप्यूटर, स्मार्टफोन और सर्वर के बीच कनेक्शन को बनाता है।
इंटरनेट पूरे विश्व में केबल्स का एक जाल है जिसकी मदद से पूरी दुनिया में डेटा एक जगह से दूसरी जगह ट्रेवल करता है, इस केबल को बिछाने और मैनेज करने के लिए कई बड़ी कंपनियां है, जब हम अपने फोन में इंटरनेट चालू करते है तो डेटा आने और जाने की रिक्वेस्ट स्मार्टफोन से जुड़े टावर से होकर सर्वर तक पहुंचती है।
जिससे डेटा एक छोर से दुसरे छोर (End) पर जाता है, और हम इसको यूज़ कर पाते है।
हमारी धरती पर पर बहुत सारी केबलों का जाल बिछा है, जो कि बहुत बड़ी-बड़ी Compnies के द्वारा सभी देशों से लेकर गांवों तक फैले हुए है, जिसके कारण कहीं से भी इंटरनेट एक्सेस कर पाते है।
इन Cable को लगाने का काम जो भी कंपनियां करती है उन्हें उनके काम के अनुसार कई भागों में बांटा गया है, जैसे Tear-1, Tear-2, Tear-3 इत्यादि।
इंटरनेट को ऐसे समझते है, मान लेते है आपको अपना फोन चार्ज करना है तो इसके लिए पहले चार्जर को वॉल प्लग से कनेक्ट करते है फिर केबल के दूसरे पार्ट को स्मार्टफोन में प्लग करते है।
इसके बाद हमारा फोन चार्ज होना शुरू हो जाता है, अब इंटरनेट को इसी चार्जिंग केबल की तरह मान सकते है, जिसमें बिजली की जगह डाटा ट्रैवल करता है।
इस पूरे नेटवर्क सिस्टम में इंटरनेट का काम डाटा को एक जगह से दूसरे जगह पहुंचाना होता है, जिसमें एक छोर पर सर्वर होता है और दूसरे छोर पर हमारा स्मार्टफोन या कंप्यूटर होता है।
Tear One Compeny –
Internet Kaise Kam Karta Hai, एक देश से दूसरे देश को जोड़ने के लिए समुद्र की कि गहराई में केबल्स का जाल बिछाया गया है जिसे सबमरीन केबल करते हैं, इस केबल को बिछाने के लिए बड़ी-बड़ी कंपनियों ने इसमें काफी सारा पैसा लगाया है।
यह सबमरीन केबल समुद्र के किनारे बसे बड़े शहरों तक पहुंचती हैं जो कि एक देश से दूसरे देश को जोड़ती हैं, भारत की बात करे समुद्र में इन केबल का कनेक्शन मुम्बई, चेन्नई और अन्य बड़े शहरों तक दुसरे देशों से पहुँचता है।
इस लिस्ट में टाटा कम्युनिकेशन, रिलायंस जियो (Asia-Africa-Europe), Verizon जैसी बड़ी कंपनियां आती है, पूरी दुनिया में सबमरीन केबल्स लगाने वाली Tear One Companies के बारे में नीचे इस इमेज में देख सकते है।
Tear Two Compeny –
दूसरे देश से हमारे देश के अंदर आए इस केबल्स के नेटवर्क को इसके आगे सभी राज्यों, जिलों, तहसील, कस्बों और गांवों में पहुंचाया जाता है।
जिसको पहुंचाने वाली कंपनी को Tear Two Compnie कंपनी कहा जाता है, इस लिस्ट में रिलायंस जिओ, BSNL, AIRTEL, VODAFONE, TELENOR, और अन्य सभी नेटवर्क प्रोवाइडर का नाम आता है, ये सभी Tear Two कंपनी सबमरीन केबल को ऑप्टिक केबल से जोड़कर पूरे भारत के कोने-कोने में पहुंचाती है,
Tear Three Compeny –
इसके आगे भी Tear-3 कैटगरी में बहुत सारी कंपनी आती है जो कि Tear-2 से कनेक्ट होकर इन्टरनेट डेटा उपलब्ध कराती है, Tear-3 की लिस्ट में Tikona, Hathway जैसी कई सारी कंपनीयां आती है।
इंटरनेट के पैसे क्यों लगते है –
क्या इंटरनेट को प्रयोग करने में पैसे लगते है? इसका उत्तर है नहीं, क्योंकि इन सभी केबल्स को केवल एक बार लगाने का खर्च आता है इसके बाद इसके मेंटनेंस में खर्च आता है, इस क्षेत्र में जो कंपनी बिजनेस करती है और इससे पैसे कमाती है वह इस केबल को मेंटेन करके रखती है।
केबलों के इसी मेंटेनेंस के लिए हम सभी यूजर से चार्ज लिया जाता है, इसके अलावा भी और कई सारे खर्चे है, इसमें जिसके बारे में हम यहाँ नहीं बात कर रहे है और यह पैसा बंटते हुए Tear-3, Tear-2 से होकर Tear-1 कंपनी के पास पहुँच जाता है।
सामान्यतः कम्पनियां इस डेटा के आने जाने के लिए कीमत के हिसाब से एक लिमिट सेट कर देती है, जिसे MB, GB, TB के रूप में हम सामान्यतः जानते है।
ऐसा नही होता है कि रिचार्ज के खत्म हो के बाद इंटरनेट खत्म हो जाता है बल्कि हमारे उस फ़ोन में लगे सिम पर डेटा की एक लिमिट होती है वो खत्म होती है और यह लिमिट हम जैसा रिचार्ज कराते है उसे हिसाब से मिलती है।
यह पूरा का पूरा एक बिजनेस है जिसमें आज के समय में हजारों कंपनियां मौजूद है, वे एक छोर से दूसरे छोर तक डाटा को पहुंचाने के लिए काम करती है।
ऐसा नहीं है कि केवल एक ही कंपनी इस पूरे सिस्टम को मैनेज करती है, नहीं ऐसा नहीं है, यहाँ पर हर कंपनी के काम अलग-अलग स्तर पर बने हुए है।
कोई कंपनी केबलों को मेंटेन करने का काम करती है, तो कोई कंपनी एक देश से दूसरे देश की बीच डेटा के ट्रांसफर को मैनेज करती है तो कोई कंपनी गावों और शहरों में इंटरनेट और कॉलिंग की सुविधा प्रदान करती है।
Internet Kaise Chalta Hai इसके बारे में जानने के बाद आप समझ सकते है कि क्यों इसको फ्री में नहीं दिया जा सकता है और इसको प्रयोग करने के पैसे लिए जाते है।
Internet Data Transfer –
हमारे पास मौजूद डिवाइस से होकर इंटरनेट डेटा कैसे सर्वर तक जाता है, इसको कुछ इस तरह समझ सकते हैं कि जब भी आप अपने फोन को Charging में लगाते हैं तो करेंट (Electricity) के रूप में डाटा चार्जर से निकलकर वायर से होते हुए फोन में पहुंचता है।
फोन को बार-बार चार्ज करने के लिए हमें एक बार ही केबल खरीदने की जरूरत पड़ती है, उसके बाद जब चाहें फोन को चार्ज कर सकते हैं।
इसी तरह जब हम एक कंप्युटर को दूसरे कंप्युटर के साथ केबल से जोड़ते हैं तो दोनों कंप्यूटर के बीच किसी फाइल को शेयर करने के लिए कोई पैसे नहीं लगते बस एक क्लिक से फाइल एक कंप्यूटर से निकलकर केबल से होते हुए दूसरे कंप्यूटर में पहुंच जाती है।
इंटरनेट भी कुछ इसी केबल की तरह से चलता है जिसमें दो कंप्यूटर, सर्वर और यूजर के बीच, हजारों किलोमीटर दूरी है फिर भी जो भी सर्च करते हैं वह डाटा किसी न किसी सुपर कंप्यूटर (Server) पर मौजूद होता है जिसे सर्वर(Server) कहते है और वहां से हमारे घर में रखे कंप्यूटर या स्मार्टफोन पर आता है।
सर्वर से हमारे फोन तक डेटा जिस सबमरीन केबल और ऑप्टिक फाइबर केबल (Fiber Optics Cable) से होकर आता है वही ऑप्टिक केबल ही इंटरनेट है, और इस वायर से होकर डाटा के आने-जाने में पैसे नहीं लगते।
अब क्योंकि इसको लगाने (Setup) में और मेंटेनेंस में काफी खर्च आता है इसके लिए यूजर से इसको यूज़ करने पर प्रति जीबी के हिसाब से पैसे चार्ज किया जाता है, जिसके लिए हमें पैसे देने पड़ते है।
इंटरनेट का मालिक कौन है? –
इंटरनेट कैसे चलता है इसके बारें हमें जानकारी मिल गयी है, अब इसका मालिक कौन है तो यह जान लीजिए कि इंटरनेट दो या दो से अधिक कंप्युटर्स का एक जाल है।
आमतौर पर इन्हें सर्वर के नाम से जाना जाता है, सर्वर कुछ नहीं एक सुपर कंप्युटर ही होता है जो एक साधारण कंप्युटर से कई गुना तेज होता है, यह एक समय में करोड़ों-अरबों गणनायें करने में सक्षम है।
इंटरनेट इन्हीं सुपर कंप्युटर का एक जाल है और ये सभी कंप्युटर्स एक दूसरे से इंटरनेट केबल कनेक्शन से जुड़े है, जिसे इंटरनेट केबल इंटरनेट पर किसी का मालिकाना हक नहीं है, हर नेटवर्क की जिम्मेदारी खुद की होती है।
यहाँ अलग-अलग लेवल पर अलग-अलग कंपनियों ने अपने सेटअप बनाया हुआ है जो कि उनके अधिकार क्षेत्र में आता है।
जिस कंपनी ने समुद्र में सबमरीन केबल डाल रखा है, ये केबल का अधिकार उसके पास है, जो कंपनी बीच में तथा एंड में यूजर तक इंटरनेट लाने के लिए टॉवर्स लगाती है उसपर उनका अधिकार है।
इस तरह से देखा जाए तो इंटरनेट पर किसी एक व्यक्ति या कंपनी का अधिकार नहीं, ऐसा मेरा अनुमान है, Internet Kaise Banta Hai
इंटरनेट की देखभाल के लिए संस्थाएं –
Internet Kaise Banta Hai, इंटरनेट के समुचित देखभाल के लिए कुछ संस्थाएं बनाई गई है जो कि इनसे संबंधित बदलावों और नियमों को लागू करने में सहायता करती है।
Intetrnet Architecture Bord (IAB) – इंटरनेट आर्किटेक्चर बोर्ड मुख्य रूप से IETF (Internet Engineering Task Force) और IRTF (Internet Research Task Force) के कार्यों पर देखरेख रखना है, अगर IETF की ओर से इंटरनेट में कोई बदलाव किया जाए तो इंटरनेट आर्किटेक्चर बोर्ड उसकी मंजूरी देने का काम करती है।
Internet Engineering Task Force (IETF) – इस संस्था का प्रमुख कार्य इंटरनेट कम्यूनिकेशन के लिए नए Protocols को डेवलप करना ओर पुराने प्रोटोकॉल्स को मेंटेन करके रखना होता है।
Internet Research Task Force (IRTF) – इंटरनेट रिसर्च टास्क फोर्स का मुख्य कार्य लंबे समय की समस्याओं पर रिसर्च करना होता है।
Internet Kaise Chalta Hai
हम जो भी इंटरनेट यूज करते हैं उसमें से 99.9% इंटरनेट ऑप्टिक फाइबर केबल (optic fiber cable) के द्वारा हमारे घर के पास मौजूद टावर तक आता है, यही ऑप्टिकल फाइबर केबल हमारे कंप्यूटर, स्मार्टफोन और सर्वर के बीच कनेक्शन को बनाता है।
मोबाईल डाटा कैसे बनता है?
डाटा बनता नहीं बल्कि टेलिकॉम कंपनियों द्वारा उनके सिस्टम के माध्यम से हर सिम कार्ड पर लिमिट सेट कर दी जाती है, जो कि रिचार्ज के अनुसार कम या ज्यादा होती है, हालांकि इंटरनेट पर अनलिमिटेड डाटा ट्रांसफर किया जा जा सकता है।
इंटरनेट स्लो क्यों चलता है
Internet के स्लो होने के पीछे मुख्य कारण इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर है, एक नेटवर्क पर एक ही समय में ज्यादा लोगों का फोन यूज करना तथा अन्य कारण होते है, साथ ही स्पीड आपके इंटरनेट कनेक्शन प्लान के ऊपर भी यह निर्भर करता है।
इंटरनेट की खोज किसने की थी?
साल 1970 के दशक में, ARPANET के दो शोधकर्ताओं, “रॉबर्ट काह्न” और “विंट सेर्फ़” ने एक ऐसी भाषा बनाई जिसे नेटवर्क साझा कर सकते थे, जो कंप्यूटरों को एक-दूसरे से बात करने की अनुमति देती थी, यह ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल और इंटरनेट प्रोटोकॉल के रूप में जाना गया, ARPANET ने इसे 1 जनवरी 1983 को अपनाया और यहीं से आधुनिक इंटरनेट का जन्म हुआ।
इंटरनेट का मालिक कौन है?
इंटरनेट किसी एक व्यक्ति, एक कंपनी, संस्था या सरकारी एजेंसी की संपत्ति नहीं है और न ही ये सीधे तौर पर इसे नियंत्रित करते हैं, अलग-अलग लेवल पर बहुत सी कंपनियां इसपर अधिकार रखती है।
भारत में इंटरनेट की शुरुआत कब हुई थी?
भारत में इंटरनेट की शुरुआत 1986 में हुई थी और आम जनता की पहुंच 15 अगस्त 1995 को शुरू हुई, हालांकि उस समय आम लोगों के लिए भी इसका प्रयोग करना आसान नहीं होता था।
Internet Kaise Chalta Hai या Internet Kaise Banta Hai इसके बारे में जानने के लिए इस विडिओ को देख सकते है –
Summary –
पिछले एक दशक में ही इंटरनेट ने बहुत बड़े बदलाव लाए है और इसमें कोई शक नहीं कि मानव जीवन के प्रयोगों में अभी इसका और गहराई में जाना बाकी है।
आज के समय में आप जो कुछ भी अपने सामने देख रहे है उससे परे भी एक वर्चुअल दुनिया मौजूद है और वह इंटरनेट के अंदर है।
तो दोस्तों, आशा करता हूँ, Internet Kaise Chalta Hai या Internet Kaise Banta Hai के बारे में हमारा यह लेख पसंद आया होगा, यदि आपके पास कोई सवाल या सुझाव है तो उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें और इस लेख को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें, Thank You 🙂
यह आर्टिकल भी पढ़ें –
Pin Code क्या होता है | Click Here |
ZIP Code क्या होता है | Click Here |
डाक टिकट क्या होता है | Click Here |
पोस्टल कोड क्या होता है | Click Here |