GI Tag Kya Hota Hai, हमारा भारत विविधताओं से भरा हुआ देश है, यहाँ अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग परम्पराएं बसती है।
यहाँ किसी क्षेत्र में कोई चीज खास लोकप्रिय है तो किसी दूसरे क्षेत्र में कोई अन्य प्रसिद्ध चीज जो कि पूरे विश्व में अपनी पहचान रखती है।
इसी पहचान को अमूर्त रूप देने का काम करता है, “जीआई टैग”, जिससे किसी चीज को एक खास पहचान मिलती है।
Hello Dosto, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर आज हम बात करने जा रहे है, जीआई टैग के बारे में जीआई टैग क्या है (GI Tag Kya Hai) इसके क्या फायदे है, भारत में जीआई टैग से प्रमाणित चीजों तथा इससे जुड़ी अन्य जानकारियों के बारे में।
GI Tag Kya Hota Hai –
GI Tag का फुल फॉर्म “जीओग्राफिकल इंडीकेटर” (Geographical Indications) होता है, हिंदी में इसे “भौगोलिक संकेतक” के नाम से जाना जाता है।
जीआइ टैग किसी क्षेत्र विशेष में मिलने वाली खास चीज को देश और विदेश में एक उस जगह के हिसाब से पहचान देने का कार्य करता है।
हमारे भारत में बहुत तरह की विविधताएं पाई जाती है, इन विविधताओं के कारण कोई भी चीज प्रसिद्ध होती है तो उसे केवल एक सीमित क्षेत्र तक ही पहचान होती है।
जैसे ही दूसरे क्षेत्र में पहुंचते है, कोई दूसरी चीज देखने को मिलती है, इनमें से बहुत सी ऐसी चीजें है जो न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में अपनी पहचान बनाने का गुण रखती है।
एक खास क्षेत्र तक ही सीमित किसी चीज को विश्व पटल पर पहचान दिलाने का काम करता है GI Tag।
जब किसी चीज या प्रोडक्ट को जीआई टैग दिया जाता है तो उससे उस क्षेत्र की पहचान होती है, उस उत्पाद की ख्याति जब देश-दुनिया में फैलती है।
जीआई टैग किसी भी चीज के बारे में यह भी बताता है कि वह सामान किसी खास भौगोलिक लोकेशन के कारण खास है और उसके उत्पादन में परंपरागत तरीकों का इस्तेमाल किया गया है।
जीआई टैग यह सुनिश्चित करता है कि लोकेशन या उत्पादन के तरीके में उस उत्पाद की जो भी खसियतें है वह उसमें मौजूद है।
इस सिस्टम की शुरुआत के लिए संसद ने उत्पाद के रजिस्ट्रीकरण और संरक्षण को लेकर दिसंबर 1999 में “वस्तुओं के भौगोलिक संकेत (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम” अधिनियम पारित किया।
इस अधिनियम को अंग्रेजी में Geographical Indications of Goods (Registration and Protection) Act, 1999 कहा गया।
बाद में यह अधिनियम 15 सितंबर 2003 को में लागू किया गया, जिसका उद्देश्य भारत में अद्वितीय वस्तुओं के जीआई के पंजीकरण और उन्हें बेहतर सुरक्षा प्रदान करना था, इसके तहत भारत में पाए जाने वाले किसी अद्वितीय उत्पाद के लिए जीआई टैग देने का सिलसिला प्रारंभ हुआ।
जीआई टैग यह सुनिश्चित करता है कि अधिकृत उपयोगकर्ताओं के रूप में पंजीकृत लोगों के अलावा किसी को भी लोकप्रिय उत्पाद नाम का उपयोग करने की अनुमति नहीं होती है।
दूसरे शब्दों में कहें तो जब जीआई टैग किसी चीज को मिल जाता है, तो इसके बाद उस वस्तु को कोई भी दूसरा राज्य या जिला अपने यहां का बताकर नहीं बेच सकता है।
GI Tag किसे दिया जाता है –
कृषि उत्पाद –
खेती या कृषि से जुड़े प्रोडक्ट जैसे – उत्तराखंड का तेजपत्ता, बासमती चावल, दार्जिलिंग टी, किसी खास किस्म का मसाला और ऐसे ही अनेकों चीजें, जो किसी एक विशेष क्षेत्र में ही उगाए जा सकते है।
हैंडीक्राफ्ट्स –
हैंडीक्राफ्ट्स आइटम को भी जीआई टैग दिया जा सकता है, कुछ चीजों में प्रयोग होने वाला कच्छ माल और उसे बनाने वाले कारीगर केवल खास क्षेत्र में ही मिलते है।
जैसे – बनारस की साड़ी, चंदेरी साड़ी, महाराष्ट्र सोलापुर की चद्दर, कर्नाटक का मैसूर सिल्क, तमिलनाडु का कांचीपुरम सिल्क इत्यादि।
उत्पाद –
औद्योगिक स्तर पर उत्पादन वाले उत्पादों को भी जीआई तह दिया जा सकता है, उद्योगों मीन बनाए जाने वाले कुछ समान जिन्हें जीआई टैग दिया गया है, जैसे – उत्तर प्रदेश के कन्नौज का इत्र, तमिलनाडु का इस्ट इंडिया लेदर, गोवा की फेनी और बनारस का पान इत्यादि।
खाद्य सामग्री –
खाने-पीने की चीजों को भी जीआई टैग का दर्जा दिया जाता है, हमारे भारत में तो खाने के लिए लाखों तरह के व्यंजन मौजूद है, इनमें से कुछ खास तरह के आइटम को जीआई टैग दिया गया है, जो पूरे भारत भर में प्रसिद्ध है।
आंध्र प्रदेश के तिरुपति का लड्डू, राजस्थान की बीकानेरी भुजिया, तेलंगाना के हैदराबाद की हलीम, पश्चिम बंगाल का रोसोगुल्ला, मध्य प्रदेश का कड़कनाथ मुर्गा इत्यादि।
GI Tag List –
आंध्र प्रदेश –
अंधरे प्रदेश के जीआई टैग की सूची निम्नलिखित है –
वेंकटगिरी साड़ी | हस्तशिल्प |
बोब्बिली वीणा | हस्तशिल्प |
गुंटूर सन्नम मिर्च | कृषि |
बुडिती बेल और पीतल शिल्प | हस्तशिल्प |
श्रीकालाहस्ती कलमकारी | हस्तशिल्प |
कोंडापल्ली बोम्मलु | हस्तशिल्प |
दुर्गी पत्थर की नक्काशी | हस्तशिल्प |
बंगनपल्ली आम | कृषि |
एटिकोप्पाका खिलौने | हस्तशिल्प |
अल्लागड्डा पत्थर की नक्काशी | हस्तशिल्प |
तिरूपति लड्डू[ए] | खाने का पदार्थ |
मछलीपट्टनम कलमकारी | हस्तशिल्प |
मंगलगिरि साड़ियाँ और कपड़े | हस्तशिल्प |
धर्मावरम हैंडलूम पट्टू साड़ी और पावाडा | कपड़ा |
बंदर लड्डू | खाद्य सामग्री |
उदयगिरि लकड़ी कटलरी | हस्तशिल्प |
आंध्र प्रदेश चमड़ा कठपुतली | हस्तशिल्प |
उप्पाडा जामदानी साड़ी | हस्तशिल्प |
अराकू वैली अरेबिका कॉफ़ी | कृषि |
असम –
असम के जीआई टैग की लिस्ट कुछ इस प्रकार है
असम (Orthodox) लोगो | कृषि |
असम का मूँगा सिल्क (लोगो) | कृषि |
असम का मूँगा सिल्क | कृषि |
असम कार्बी आंगलोंग अदरक | कृषि |
तेजपुर लीची | कृषि |
जोहा (Joha) चावल | कृषि |
बोका चाउल | कृषि |
काजी नेमु | कृषि |
चोकुवा चावल | कृषि |
गमोसा | हैंडलूम |
अरुणांचल प्रदेश –
अरुणांचल प्रदेश के जीआई टैग वाले उत्पाद कुछ इस प्रकार है –
अरुणाचल नारंगी | कृषि |
इदु मिश्मी टेक्सटाइल | हस्तशिल्प |
बिहार –
मधुबनी पेंटिंग | हस्तशिल्प |
एप्लिक – बिहार का खटवा पैच वर्क | हस्तशिल्प |
एप्लिक – बिहार का खटवा पैच वर्क (लोगो) | हस्तशिल्प |
सुजिनी कढ़ाई | हस्तशिल्प |
सुजिनी कढ़ाई (लोगो) | हस्तशिल्प |
भागलपुर सिल्क | हस्तशिल्प |
सिक्की घास के उत्पाद | हस्तशिल्प |
भागलपुरी जर्दालू | हस्तशिल्प |
कतर्नी चावल | कृषि |
मगही पान | कृषि |
शाही लीची | कृषि |
सिलाओ खाजा | खाद्य सामग्री |
गोवा –
गोवा में प्रसिद्ध जीआई टैग वाले उत्पाद कुछ इस प्रकार है –
फेनी | मैन्युफैक्चरिंग |
खोला मिर्च | कृषि |
दिल्ली –
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में अभी केवाल एक ही भौगोलिक संकेत दिया गया है –
बासमती चावल | कृषि |
छत्तीसगढ़ –
छत्तीसगढ़ में जीआई टैग वाले उत्पादों की सूची –
बस्तर ढोकरा | हस्तशिल्प |
बस्तर ढोकरा (लोगो) | हस्तशिल्प |
बस्तर लकड़ी शिल्प | हस्तशिल्प |
बस्तर लौह शिल्प | हस्तशिल्प |
चंपा सिल्क साड़ी और कपड़े | हस्तशिल्प |
जीराफूल | कृषि |
गुजरात –
गुजरात के विशिष्ट चीजों को दी ई जीआई टैग लिस्ट कुछ इस प्रकार है –
कैम्बे के एजेट्स | हस्तशिल्प |
कैम्बे के एजेट्स (लोगो) | हस्तशिल्प |
भालिया गेहूं | कृषि |
गिर केसर आम | कृषि |
जामनगरी बंधनी | हस्तशिल्प |
कच्छ शॉल | हस्तशिल्प |
कच्छ कढ़ाई | हस्तशिल्प |
कच्छ कढ़ाई (लोगो) | हस्तशिल्प |
पाटन पटोला | हस्तशिल्प |
पेठापुर प्रिंटिंग ब्लॉक्स | मैन्युफैक्चरिंग |
राजकोट पटोला | हस्तशिल्प |
संखेड़ा फर्नीचर | हस्तशिल्प |
संखेड़ा फर्नीचर (लोगो) | हस्तशिल्प |
सूरत ज़री शिल्प | हस्तशिल्प |
तंगालिया शॉल | हस्तशिल्प |
हिमाचल प्रदेश –
कुल्लू शॉल (लोगो) | टेक्सटाइल |
कांगड़ा चाय | कृषि |
चम्बा रुमाल | हस्तशिल्प |
किन्नौरी शॉल | हस्तशिल्प |
कुल्लू शॉल | हस्तशिल्प |
कांगड़ा पेंटिंग | हस्तशिल्प |
बासमती | कृषि |
हिमाचली काला ज़ीरा | कृषि |
हिमाचली चुल्ली तेल | मैन्युफैक्चरिंग |
जम्मू और कश्मीर –
गुच्ची मशरूम | कृषि |
कानी शॉल | हस्तशिल्प |
कश्मीरी हाथ से बुना हुआ कालीन | हस्तशिल्प |
कश्मीर पेपर माछ | हस्तशिल्प |
कश्मीर पश्मीना | हस्तशिल्प |
कश्मीर सोज़नी शिल्प | हस्तशिल्प |
कश्मीरी अखरोट की लकड़ी पर नक्काशी | हस्तशिल्प |
कश्मीरी केसर | कृषि |
झारखंड –
सोहराई – खोवर पेंटिंग | हस्तशिल्प |
कर्नाटक –
ब्यादगी मिर्च | कृषि |
किन्नल खिलौने | हस्तशिल्प |
मैसूर अगरबत्ती | मैन्युफैक्चरिंग |
बैंगलोर ब्लू अंगूर | कृषि |
मैसूर पाक | मिठाई |
बैंगलोर गुलाब प्याज | कृषि |
कूर्ग नारंगी | कृषि |
मैसूर सिल्क | हस्तशिल्प |
मैसूर सिल्क (लोगो) | हस्तशिल्प |
बिड्रिवेयर | हस्तशिल्प |
चन्नापटना खिलौने और गुड़िया | हस्तशिल्प |
मैसूर रोज़वुड इनले | हस्तशिल्प |
मैसूर चंदन का तेल | मैन्युफैक्चरिंग |
मैसूर सैंडल साबुन | मैन्युफैक्चरिंग |
कसुति कढ़ाई | हस्तशिल्प |
मैसूर पारंपरिक पेंटिंग | हस्तशिल्प |
मैसूर पान का पत्ता | कृषि |
नंजनागुड केला | कृषि |
मैसूर चमेली | कृषि |
उडुपी जैस्मिन | कृषि |
हदगली जैस्मिन | कृषि |
इल्कल साड़ी | हस्तशिल्प |
नवलगुंड ड्यूरीज़ | हस्तशिल्प |
नवलगुंड ड्यूरीज़ (लोगो) | हस्तशिल्प |
कर्नाटक कांस्य बर्तन | हस्तशिल्प |
मोलकालमुरु साड़ी | हस्तशिल्प |
मानसूनी मालाबार अरेबिका कॉफ़ी | कृषि |
मानसूनी मालाबार रोबस्टा कॉफ़ी | कृषि |
कूर्ग हरी इलायची | कृषि |
धारवाड़ पेढ़ा | खाने का पदार्थ |
कूर्ग ऑरेंज | कृषि |
मालाबार काली मिर्च | कृषि |
मैसूर के गंजिफ़ा कार्ड | हस्तशिल्प |
मैसूर के गंजिफ़ा कार्ड (लोगो) | हस्तशिल्प |
देवनहल्ली पोमेलो | कृषि |
अप्पेमिडी आम | कृषि |
कमलापुर लाल केला | कृषि |
संदुर लम्बानी कढ़ाई | हस्तशिल्प |
उडुपी मट्टू गुल्ला बैंगन | कृषि |
कर्नाटक ब्रॉन्ज़वेयर लोगो | हस्तशिल्प |
गुलेदगुड खाना | हस्तशिल्प |
उडुपी साड़ी | हस्तशिल्प |
कोल्हापुरी चप्पल | हस्तशिल्प |
कूर्ग अरेबिका कॉफ़ी | कृषि |
चिकमंगलूर अरेबिका कॉफ़ी | कृषि |
बाबाबुदंगिरिस अरेबिका कॉफ़ी | कृषि |
सिरसी सुपारी | कृषि |
गुलबर्गा तुअर दाल | कृषि |